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Level: माध्यमिक पाठ्यक्रम | Subject: अर्थशास्त्र | Book Name: अर्थशास्त्र | Chapter: 23- पर्यावरण तथा धारणीय विकास - 1149 views

Description: पर्यावरण में उन सभी जैविक तथा अजैविक कारकों को सम्मिलित किया जाता है जो प्रकृति में एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। संसाधन नवीकरणीय जैसे वन और गैर नवीकरणीय जैसे पैट्रोलियम हो सकते हैं। पर्यावरण तथा धारणीय विकास प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता अथवा प्राकृतिक जैव तंत्रा में अवांछनीय परिवर्तन है। वायु प्रदूषण, सांस लेने में, कठिनाई तथा खांसी उत्पन्न करता है। जल प्रदूषण, जल से उत्पन्न होने वाली बीमारियाँ जैसे हैजा, टाइफाइड, अतिसार आदि उत्पन्न करता है। ध्वनि प्रदूषण, उच्च रक्तचाप, बहरापन आदि उत्पन्न करता है। भूमि निम्नीकरण, फसल उगाने के लिए भूमि की उत्पादन क्षमता को कम करता है। संसाधनों के क्षय से अभिप्राय किसी क्षेत्रा अथवा प्रदेश में कच्चे माल की क्षीणता से है। धारणीय विकास ऐसा विकास है जो कि भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करे। हम धारणीय विकास में योगदान दे सकते हैंः ;पद्ध गैर-नवीकरणीय संसाधनों के लिये स्थानापन्न ढूंढ़कर और नवीकरणीय संसाधनों का युक्ति संगत प्रयोग करके। ;पपद्ध प्रयोग किये उत्पादों के पुन

License- एनआईओएस | Source- एनआइओएस | Last Update On- 01/02/2021
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